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Development

Farmer training cum material program organized

किसान प्रशिक्षण सह उपादान कार्यक्रम का हुआ आयोजन

चकिया में रबी महाअभियान के अंतर्गत मंगलवार को प्रखंड कार्यालय परिसर में स्थित ट्रायसम भवन में एक दिवसीय किसान प्रशिक्षण एवं उपादान कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्घाटन कृषि पदाधिकारी विजय कुमार सिंह ने किया। इस अवसर पर संबंधित अधिकारी, कर्मचारी, प्रखंड के किसान और गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया। बीएओ ने जानकारी दी कि कम लागत में अधिक उपज के लिए जीरो टिलेज विधि से गेहूं की बुवाई अत्यधिक लाभकारी हो सकती है।

इसके साथ ही, सूक्ष्म सिंचाई विधियों पर जोर देते हुए बताया गया कि इन तकनीकों से पानी की खपत में कमी आती है और फसलों की सही समय पर सिंचाई सुनिश्चित होती है। दूसरी ओर, तोरी एवं सरसों की उन्नत खेती, समेकित कृषि प्रणाली, और आधुनिक कृषि यंत्रों के उपयोग एवं रखरखाव पर भी विस्तार से जानकारी दी गई। किसानों द्वारा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर और कृषि संबंधी समस्याओं के समाधान की चर्चा की गई। बीएओ ने बताया कि मानकों पर खरे उतरने वाले किसानों को अनुदानित दर पर गेहूं के बीज उपलब्ध कराए जा रहे हैं। इस कार्यक्रम में सहकारिता पदाधिकारी, कृषि सलाहकार, कृषि समन्वयक और अन्य कर्मचारी भी उपस्थित रहे।

Source: दैनिक उजाला

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चकिया के 77 टोला में 1 जून से चलेगा समर कैंप

चकिया प्रखंड क्षेत्र के 77 टोला में 1 जून से समर कैंप चलेगा। समर केंप में 4,5 व 6 वर्ग के 770 बच्चे पढ़ेंगे। इस कार्यक्रम को सफल बनाने को लेकर बीआरसी में आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम में सोमवार को प्रखंड क्षेत्र के 77 टोला सेवकों को प्रशिक्षित किया गया है।

सभी टोला सेवकों को दो दिनों के अंदर प्रत्येक टोला से 4, 5 व वर्ग 6 के दस दस बच्चों की सूची बनाकर बीआरसी में जमा कराने का निर्देश दिया गया है। 1 जून से 30 तक अक्षर आंचल योजना से कोई बच्चा पीछे नहीं, माता भी छूटे नहीं कार्यक्रम के तहत प्रखंड के 77 टोला में समर कैंप का आयोजन होगा। इस संबंध में बी ई ओ मिथिलेश कुमारी ने बताया कि महादलित, दलित, अल्पसंख्यक, अति पिछड़ा वर्ग अक्षर आंचल योजना के तहत एक माह चलने वाली समर कैंप को सफल बनाने को लेकर त्वरित कार्रवाई की जा रही है।

समर कैंप में शिक्षा सेवक व शिक्षा सेवक तालमी मरकज के द्वारा सभी टोला में बच्चो के पढ़ने व सरल गणित के बुनियादी दक्षता को मजबूत करने के लिए कार्य करेंगे। 1 जून से प्रखंड के 77 टोला में 770 बच्चों को पढ़ाने के लिए केंद्र का चयन कर लिया गया है।

Source: Hindustan

कठिन परिस्थिति में रहने वाले बच्चों को चिह्नित कर सरकारी योजनाओं से जोड़ने की हो पहल

कठिन परिस्थिति में रहने वाले बच्चों को चिह्नित कर सरकारी योजनाओं से जोड़ने की हो पहल
चकिया प्रखंड मुख्यालय स्थित ट्राइसम भवन में शुक्रवार को प्रखंड प्रमुख कुमारी रीना की अध्यक्षता में प्रखंड स्तरीय बाल संरक्षण समिति की समीक्षा बैठक आयोजित की गई। बैठक में बाल विवाह बाल श्रम बाल तस्करी बाल शोषण पर अंकुश लगाने के लिए पंचायत और वार्ड स्तर पर बाल संरक्षण समिति गठन करने पर विस्तृत चर्चा की गई।

चकिया प्रखंड मुख्यालय स्थित ट्राइसम भवन में शुक्रवार को प्रखंड प्रमुख कुमारी रीना की अध्यक्षता में प्रखंड स्तरीय बाल संरक्षण समिति की समीक्षा बैठक आयोजित की गई। बैठक में बाल विवाह, बाल श्रम, बाल तस्करी, बाल शोषण पर अंकुश लगाने के लिए पंचायत और वार्ड स्तर पर बाल संरक्षण समिति गठन करने पर विस्तृत चर्चा की गई। बैठक में समाज कल्याण विभाग, महिला एवं बाल विकास निगम व यूनिसेफ के सहयोग से सेव द चिल्ड्रेन द्वारा संचालित उड़ान प्रोजेक्ट के प्रखंड समन्वयक कृष्णा कुमार ने कहा कि कठिन परिस्थिति में रहने वाले बच्चों को चिह्नित कर सरकारी योजनाओं से जोड़ने का संकल्प सभी जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक पदाधिकारियों को लेना होगा। कहा कि बच्चों के संरक्षण में काम करने वाले सभी स्टेकहोल्डर यथा जनप्रतिनिधि, पदाधिकारी, पुलिस पदाधिकारी व सामाजिक कार्यकर्ता का यह दायित्व है कि बच्चों के प्रति लोगों की सोच व व्यवहार में परिवर्तन लाने के लिए किसी भी भेदभाव के बिना जागरूकता अभियान लगातार चलाएं, जिससे हम बच्चों के अधिकारों व संरक्षण दिलाने में कामयाब हो सकते हैं। बैठक में जनप्रतिनिधियों की ओर से प्रखंड स्तरीय पदाधिकारी का उचित सहयोग नहीं मिलने की बात सामने आई।

जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण उनकी बैठक में उपस्थिति नगण्य रही। करीब दो घंटे विलंब से शुरू हुई बैठक में बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 एवं बाल श्रम अधिनियम 1986 के बारे में विस्तृत चर्चा की एवं बाल विवाह बाल मजदूरी किस तरह से कम हो इस पर उन्होंने सभी जनप्रतिनिधियों से अपील की। समाज में हो रही सभी गैर कानूनी शादी को रोकने और सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए सभी पदाधिकारी और जनप्रतिनिधियों को एक साथ मिलकर कार्य करने को कहा गया। प्रखंड प्रमुख कुमारी रीना ने कहा कि हम सभी जनप्रतिनिधियों को मिलकर वार्ड व पंचायत स्तर पर सभी योजनाओं से बच्चों को जुड़वाना होगा और उनके संरक्षण की बात करनी होगी। उप प्रमुख अर्पणा देवी ने बाल संरक्षण के मुद्दों पर सक्रिय रूप में काम करने की अपील की। बाल विकास परियोजना पदाधिकारी अनुमेहा ने कहा कि बाल संरक्षण समिति की जो संरचना है प्रखंड स्तर, पंचायत स्तर, वार्ड स्तर पर सशक्त करने की जरूरत है। प्रखंड समन्वयक सुशील कुमार आजाद एवं जितेंद्र कुमार सिंह संयुक्त राष्ट्रसंघ महाअधिवेशन द्वारा पारित बच्चों के 54 अधिकारों के साथ-साथ मुख्य चार अधिकारों पर विस्तृत जानकारी दी। प्रखंड प्रवर्तन पदाधिकारी अनिल कुमार सिन्हा ने 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को होटल ढाबा में कमाने के लिए नहीं भेजने की बात कही। चाइल्डलाइन के प्रतिनिधि नारायण मजूमदार ने बच्चों के संरक्षण की बात बताते हुए परवरिश योजना के बारे में बताया। बैठक में पंचायत समिति बालेश्वर सहनी, नवल किशोर सिंह, बीसी विकास कुमार, अरविन्द कुमार पांडेय, पीएस शंभू कुमार, महिला सुपरवाइजर माधुरी कुमारी, आरसी सुल्ताना, स्वास्थ्य विभाग के राजीव रंजन, आइसीडीएस बीसी रश्मि राज, प्रखंड लिपिक राजकिशोर कुमार, चाइल्ड लाइन से अजय कुमार, विकास मित्र रामकुमार, कविता कुमारी, ध्रुव कुमार बैठा, प्रियंका कुमारी, सरिता कुमारी, मुकेश राम समेत अन्य जनप्रतिनिधि व प्रखंडकर्मी मौजूद थे।

Source: Jagran

People in Locomotive Engine

सप्तक्रांति एक्सप्रेस से फुट प्लेटिग कर हुई स्पीड की जांच

मुजफ्फरपुर – नरकटियागंज रेलखंड पर मेन लाइन ट्रैक के उन्नयन कार्य संपन्न होने के बाद सहायक मंडल अभियंता अर्जुन सिंह के नेतृत्व में शनिवार को सप्तक्रांति एक्सप्रेस स्पेशल ट्रेन से बापूधाम मोतिहारी से नरकटियागंज स्टेशन तक मेन लाइन के स्पीड का ट्रायल कर जांच की गई। जांच के दौरान स्पीड दोगुना होने लायक पाया गया।

यहां बता दें कि कोरोना काल में मंडल अभियंता श्री सिंह के नेतृत्व में इंजीनियरिग विभाग के कर्मी मेन लाइन ट्रैक के मजबूतीकरण एवं उन्नयन कार्य में लगे हुए थे। कार्य समाप्ति के बाद लाइन के स्पीड का ट्रायल किया गया। अब रेल गाड़ियों के परिचालन में समय की बचत होगी और आम यात्री इसका लाभ उठा सकेंगे। स्पीड ट्रायल के दौरान मंडल अभियंता के साथ इंजीनियरिग विभाग के कई कर्मी मौजूद थे।


स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर पर्यावरण संरक्षण हेतु लायंस क्लब ऑफ चकिया द्वारा वृक्षारोपण अभियान चलाया गया

स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर पर्यावरण संरक्षण हेतु लायंस क्लब ऑफ चकिया द्वारा वृक्षारोपण अभियान चलाया गया

अभियान का उद्घाटन नगर पंचायत कार्यपालक पदाधिकारी श्री राधेश्याम मिश्रा ने नगर पंचायत परिसर में सभी लायंस के सदस्यों के साथ वृक्षारोपण कर किए। वृक्षारोपण कार्य मुख्य रूप से मधुबन रोड, मोतिहारी रोड में रूपमहल प्रवेश द्वार, मुजफ्फरपुर रोड में पावर हाउस चौक, केसरिया रोड के डीपीटीएस कॉलेज, साहेबगंज रोड में नगर पंचायत परिसर में किया गया। वृक्ष में चंपा, आंवला एवं नीम के पौधा शामिल था।

सभी पौधों की सुरक्षा एवं उसे जीवंत रखने हेतु बांस का बना हुआ गेवियन भी लगाया गया। वृक्षारोपण अभियान में संरक्षक अनिल यादव, अध्यक्ष सत्यम वत्स, सचिव विशाल जयसवाल, कोषाध्यक्ष कुंवर संदीप, संस्थापक सदस्यों में ओम प्रकाश कुमार, डॉ संदीप कुमार, रवि प्रकाश गुप्ता, सत्यम द्विवेदी एवं राम पुकार पासवान शामिल रहे। अभियान समाप्ति के उपरांत सभी सदस्यों ने लगाए गए पौधों का समय-समय पर देख-भाल कोराई-निराई एवं ध्यान रखने की प्रतिज्ञा लिया।

ऑनलाइन शिक्षा V/S गरीबी

ऑनलाइन शिक्षा बनी गरीबों की मजबूरी

फ़ोटो सौजन्य: गूगल इमेज

कोरोना महामारी ने ऑनलाइन शिक्षा एक सामान्य बात बना है। सरकार भी इसे जोड़ो शोरों से जमीन पर लाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। मगर हकीकत यह है कि ऐसे कई परिवार हैं, जिनके पास स्मार्टफोन खरीदने के पैसे नहीं है। ये लैपटॉप तो दूर की बात हैं। यही नहीं इंटरनेट की कम रफ्तार भी बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई में बाधा बन रहा है। जबकि स्कूल बंद होने के कारण इंटरनेट तक पहुंच बच्चों के लिए सबसे अहम चीज हो गई है, जिससे वे अपनी पढ़ाई से जुड़े रहें। इसी वजह से कई गरीब या कम आय वाले परिवार सस्ता या फिर सेकंड हैंड स्मार्टफोन खरीद रहे हैं। स्कूल जाने वाले 24 करोड़ बच्चों की वजह से कम कीमत वाले स्मार्ट फोन उद्योग के लिए नए ग्राहक वरदान साबित हुआ है। उद्योग से जुड़े जानकारों का कहना है कि ग्रामीण इलाकों में इस्तेमाल हो चुके हैंडसेट की बिक्री बढ़ी है। लेकिन इसके साथ ही डिजिटल डिवाइड भी बढ़ रही है।

गौरतलब है कि चीन के बाद भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा स्मार्टफोन बाजार है। मगर आबादी के बड़े हिस्से के पास आज भी सस्ते या हलकी क्वालिटी के ऐसे फोन मौजूद हैं। बहुत से परिवारों के लिए स्मार्टफोन एक नई चीज है। फिलहाल दौर ऐसा कि शिक्षक व्हाट्स ऐप के जरिए घर पर किए जाने वाला सबक दे रहे हैं। या फिर वर्चुअल क्लास ले रहे हैं। बहरहाल, स्मार्टफोन की कमी ऑनलाइन स्कूली शिक्षा के लिए एकमात्र बाधा नहीं है। धीमा इंटरनेट भी एक बड़ा मुद्दा है। इसीलिए अनेक जगहों पर खराब कनेक्शन, फोन की लागत और महंगे डाटा प्लान के अलावा स्क्रीन पर अत्यधिक समय बिताने की चिंताओं के बीच पढ़ाने के तरीके को वापस ऑफलाइन की तरफ जाने पर विचार करने पर मजबूर किया जाने लगा है। हाल ही में मानव संसाधन मंत्रालय ने ‘वन क्लास वन चैनल’ की शुरूआत की थी। इसके तहत बच्चों को पढ़ाने के लिए टीवी और रेडियो का सहारा लिया जा रहा है। मगर क्लास में पढ़ाई का कोई विकल्प नहीं है। कम से भारत में तो ऐसा ही है। ऑनलाइन शिक्षा होने के कारण गरीब परिवारों के लाखों बच्चों की पढ़ाई छूट गई है। हकीकत चिंताजनक है। मसलन, गैर सरकारी संस्था कैरिटास इंडिया की रिपोर्ट गौरतलब है। उसके 600 से अधिक प्रवासी श्रमिकों पर किए गए एक सर्वे में पता चला कि उनमें से 46 फीसदी परिवारों ने अपने बच्चों को पढ़ाना बंद कर दिया है।

उत्तर और दक्षिण बिहार की लाइफ लाइन गांधी सेतु का हुआ उद्घाटन

उत्तर और दक्षिण बिहार को जोड़ने वाली गांधी सेतु के पश्चिमी हिस्से का उद्धाटन, पटना से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और दिल्ली से केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने किया।

देश के प्रमुख स्टेशनों को निजी हाथों में सौंपने की योजना

भारतीय रेलवे के अनुसार यात्री सुविधाओं को बढ़ाने एवं ट्रेनों में आरामदायक सफर के लिए देश के प्रमुख स्टेशनों को निजी हाथों में सौंपने की योजना है। देश के 25 प्रमुख स्टेशनों को निजी हाथों में सौंपा जा सकता है। इनमें पटना जंक्शन भी शामिल है।

पहले चरण में देश के दो बड़े स्टेशनों हबीबगंज व गांधीनगर को विकसित करने के लिए निजी हाथों में सौंपा गया है। पटना जंक्शन में कुछ बड़ी कंपनियां दिलचस्पी ले रही हैं। हालांकि, अभी तक इस संबंध में स्पष्ट निर्णय नहीं लिया गया है। इसके लिए रेलवे विकास निगम को जिम्मेदारी सौंपी गई है। एक-दो बड़ी कंपनियां पटना जंक्शन में दिलचस्पी दिखा रही हैं।

देखना होगा कि पटना रेलवे स्टेशन के निजी हाथों में जाने से सफर आरामदायक होगा या फिर लोगो की जेबखर्च तकलिफनुमा हो जाएगी।

रोजगार की संभावनाओं पर लगाया विराम : मेहसी

मेहसी । देश में लीची के सर्वाधिक उत्पादन को ले मेहसी का नाम शीर्ष पर आज भी चमक रहा है। इसे संजोए रखने के लिए काम भी हो रहे हैं। इस पर शोध भी हो रहे हैं। हर बार नए पौधे भी लगते हैं। लीची के साथ शहद उत्पादन को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इस दिशा में कृषि विभाग द्वारा उद्यान के माध्यम से किसानों के बीच शहद संग्रह के लिए उपकरण भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं। किसान इससे जुड़ भी रहे हैं। विभाग मदद के साथ अनुदान भी दे रहा है। वैज्ञानिक प्रशिक्षण दे रहे हैं। पुरुष के साथ-साथ महिला किसानों को भी प्रोत्साहित कर शहद संग्रह को रोजगार से जोड़ने की कवायद तेज हो गई है। हालांकि, मधु प्रशोधन शुरू नहीं हो पाने का दर्द शहद उत्पादन से जुड़े किसानों के चेहरे पर सीधे दिख जा रहे हैं। जो निर्माण के 17 वर्ष बाद भी चालू नहीं हो सका। कई अधिकारी आए और गए, लेकिन किसी ने उस कंपनी को खोजने की जहमत नहीं दिखाई, जिसे चेक के माध्यम से भुगतान किया गया। विधान परिषद में मामला उठा लेकिन, नतीजा ढाक के तीन पात। बीच के समय में एक कंपनी ने मशीन भी लगाए। उम्मीद जगी और करीब दस हजार लोगों को रोजगार से जोड़ने की संभावनाएं प्रबल हो गई। दुर्भाग्य यह कि केंद्र में ताले लटक गए और उम्मीदें पूरी नहीं हुई। मेहसी से शशिभूषण कुमार की रपट। दस हजार लोगों को मिलेगा रोजगार हम खड़े हैं पूर्वी चंपारण लोकसभा क्षेत्र स्थित लीची उत्पादक क्षेत्र लीचीपुरम मेहसी में शहद उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए डेढ़ दशक पूर्व 11.17 लाख की लागत से बने मधु प्रशोधन संयंत्र के पास। तब इसके स्थापना का उद्देश्य शहद उत्पादन को बढ़ावा के साथ-साथ रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना था। यह नगर पंचायत के वार्ड एक से चार के परिक्षेत्र के केंद्र में स्थापित है। आगे बढ़े तो मधु प्रशोधन के बंद पड़े भवन के आसपास शहद के उत्पादन व व्यवसाय से जुड़े आनंदी ठाकुर, योगेंद्र मिश्रा व कपिलदेव शुक्ला मिले। इनके मन में इसके शुरू नहीं होने की कशक समझी जा सकती है। आनंदी ठाकुर कहते हैं इसके निर्माण से यह आस जगी थी कि अब मेहसी देश की पटल पर लीची के साथ शहद के उत्पादन के लिए भी चर्चित होगा। रोजगार बढ़ेंगे। लोगों की माली हालत बदलेगी। साथ ही समाज की सूरत भी..। योगेंद्र मिश्रा कहते हैं इसके निर्माण के समय यह समझा जाता था कि दस हजार लोगों को रोजगार मिल सकेगा। लेकिन, होनी को कुछ और मंजूर था। यह भी चर्चा रही कि मशीन की आपूर्ति करने वाली कंपनी का भुगतान का पैसा लेकर चंपत हो गई। बाद में एक मशीन पहुंची जो आज तक चली नहीं। तो जिम्मेदार कौन है..। और क्या कार्रवाई हुई यह आज भी यक्ष प्रश्न बना हुआ है। कपिलदेव शुक्ला का भी दर्द कुछ इस तरह का ही है। कहते हैं अगर यह शुरू हो गया होता तो आज मेहसी देश के पटल पर अपनी अलग पहचान बनाता। रोजगार की तलाश में युवाओं को भटकने की विवशता नहीं होगी। हरियाणा की कंपनी को मिली थी मशीन लगाने की जिम्मेदारी


इस परियोजना में उपयोग होने वाली मशीनों को उपलब्ध कराने के लिए हरियाणा की एक कंपनी का चयन किया गया। मशीन आने में देरी होने पर जब पड़ताल हुई तो कंपनी ने एक मशीन भेज दी, वह भी खराब। लोगों कि शिकायत पर जब जिला प्रशासन ने कंपनी की खोज शुरू की तो पता चला कि हरियाणा में इस तरह की कोई कंपनी ही नहीं है। इस बीच मशीन लगाने पहुंचे कंपनी का चीफ एक्सक्यूटिव अजय परासर भी बिना मशीन लगाए फरार हो गए। चेक से कंपनी को भुगतान किए जाने के बाद भी इस दिशा में ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी। संभावानों को भांप जिलाधिकारी ने शुरू की थी पहल मेहसी में मधु प्रशोधन की अपार संभावनाओं को देखते हुए तत्कालीन जिलाधिकारी दीपक कुमार ने शहद प्लांट लगाने की पहल शुरू की थी। जिलाधिकारी हीरालाल ने पहल को आगे बढ़ाते हुए वर्ष 2003 में मशीन की आपूर्ति के लिए निविदा निकाली। तब जिलाधिकारी एस शिवकुमार के कार्यकाल में हरियाणा की एपीजी इंस्ट्रीज, टिंबर मार्केट सहारनपुर रोड यमुनानगर की संगम इंजीनियरिग व‌र्क्स का चयन मेहसी में प्रोसेसिग प्लांट स्थापित करने के लिए किया गया। कंपनी ने कुछ दिन बाद मशीन गिराया और चालू करने के लिए 10 केवीए के जेनरेटर की बात कही, जिसे लगाया गया, लेकिन कंपनी का एक्सक्यूटिव परासर भुगतान ले बिना मशीन चालू कराए फरार हो चुका था। विधान परिषद में भी गूंजा मामला घोटाला के रूप में इस प्रकरण के सामने आने के बाद विधान पार्षद केदारनाथ पांडेय ने 01 जून 2004 को विधान परिषद में इस मामले को उठाया। विधान परिषद के सभापति द्वारा भेजे गए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव को पटना से 122 किलोमीटर मेहसी पहुंचने पर एक वर्ष नौ माह लग गए। 23 मार्च 2006 को इसके मेहसी पहुंचने के साथ प्रशासन में थोड़ी-सी हलचल दिखी। लेकिन, कहावत ढाक के तीन पात वाली साबित हुई। लोग नाउम्मीद हो चुके थे। किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था। सरकारी बाबू की ठसक देख लोगों ने भी चुप्पी साध ली। स्वयंसेवी संस्था को मिली जिम्मेदारी जांच का मामला शांत होने के बाद जिला प्रशासन ने खादी ग्रामोद्योग के विशेषज्ञों को बुलाकर इस मशीन को प्रारंभ कराने का भी प्रयास किया, लेकिन विशेषज्ञों ने इसे नकारा घोषित कर दिया। बाद में 2008-09 में जिला प्रशासन ने वत्स भारती नामक स्वयंसेवी संस्था को मशीन चलाने की जिम्मेदारी सौंपी। संस्था ने प्रखंड मुख्यालय में स्थापित भवन पर बड़े अक्षरों में अपना नाम तो लिखवा दिया, लेकिन मशीन को चालू करने की दिशा में कोई पहल नहीं हुई। 17 वर्षो के लंबे इंतजार के बाद भी प्रोसेसिग प्लांट के चालू होने की आशा आज भी शहद उत्पादकों में दिख रही हैं। शहद उत्पादक इस प्रकरण में उच्चस्तरीय जांच कराकर दोषियों के विरुद्ध उचित कार्रवाई करने की मांग भी जिलाधिकारी रमण कुमार से की है।

source: jagran.com

खेलकूद प्रतियोगिता में सफल प्रतिभागियों को किया गया सम्मानित

लेवाना पब्लिक स्कूल में एक सम्मान समारोह आयोजित कर गत माह नगर पंचायत के तत्वाधान में आयोजित खेलकूद प्रतियोगिता में सफल विद्यालय के छात्र अमन कुमार, अभिषेक कुमार, सन्नी कुमार व आदित्य राज को प्रमाण पत्र व स्मृति चिन्ह मुख्य अतिथि इंग्लैंड से आई शिक्षाविद लावेंडर राॅलस्टन शॉल व विद्यालय के निदेशक इंजीनियर सुशील कुमार तथा नव नियुक्त प्राचार्या आरती भदौरिया शर्मा ने देकर सम्मानित किया। इस दौरान मुख्य अतिथि ने कहा कि खेल से बच्चों का शारीरिक व मानसिक विकास होने के साथ-साथ जीवन अनुशासित भी होता है। बच्चों में अल्प आयु में ही खेल के प्रति रुचि डालने पर बल देते हुए कहा कि खेल में भी कैरियर है। इसके माध्यम से भी जीवन में उंचाई व शोहरत हासिल की जा सकती है। 

प्रतियोगिता में असफल रहे बच्चो का भी हौसला बढ़ाया। कहा कि असफलता ही सफलता की कड़ी है। लग्न व समर्पित होकर खेलेंगे तो कल के विजेता आप होंगे। विद्यालय के निदेशक ने कहा कि विद्यालय में पढ़ाई-लिखाई के साथ-साथ खेल को बढ़ावा दिया जा रहा है। यहां के बच्चे पढ़ाई-लिखाई के साथ-साथ खेल के क्षेत्र में भी कामयाबी का परचम लहरा सकते हैं। नवनियुक्त प्राचार्या ने कहा कि यहां के बच्चों में प्रतिभा की कमी नहीं है। जरूरत प्रतिभा को पंख लगाने की। 

यहां के बच्चे जिला लीग खेलकूद चैंपियनशिप एवं राज्य स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिता में शामिल होंगे। मौके पर चेयर पर्सन रानी शाह, सहायक निदेशक संतोष कुमार, प्रशासक वकील प्रसाद, अतिथि शिक्षिका वैरायटी एवं एलेक्सा (दोनों इंग्लैंड) व खेल शिक्षक जोहा अफजल व इंजीनियर जहांगीर आलम शांतनु, अमित मिश्रा सवा परवीन सहित अन्य मौजूद थे। 

चकिया में शिल्ड के साथ विजेता खिलाड़ी। 

source: Bhaskar.com