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चकिया में रामनवमी को लेकर कन्या पूजन व जागरण का हुआ आयोजन

स्थानीय रेलवे स्टेशन निकट स्थित श्री संकट मोचन हनुमान मंदिर एवं गणिनाथ गोविंद जी महाराज पूजा समिति के तत्वाधान में कि रामनवमी के अवसर पर मन्दिर परिसर में शनिवार को देर शाम 351 कन्याओं का पूजन कर उन्हें प्रसाद खिलाया गया। इस दौरान चिरैया से आये हनुमान आराधना मण्डल के कलाकारों ने भक्तिमय गीत संगीत प्रस्तुत कर लोगो को भाव विभोर कर दिया। भजन किर्तन के दौरान भगवान शंकर के तांडव नृत्य पर लोगो ने खूब तालियां बजाई।

देर रात तक जागरण का कार्यक्रम चलता रहा। साथ ही पूजा में आये हजारों भक्त महा प्रसाद ग्रहण किया। पूजा को सफल बनाने में मुख्य रूप से मुनटुन प्रसाद गुप्ता , ओम प्रकाश गुप्ता, कविंद्र प्रसाद यादव, नरेश प्रसाद गुप्ता, रामबृक्ष प्रसाद, छोटन श्रीवास्तव,नागेंद्र प्रसाद, हरिशंकर प्रसाद जायसवाल ,श्यामा तोदी, रोहित सिंह, सुधीर मिश्रा, राजेश कुमार ,नरसिंह सिंघानिया, गुरुदेल प्रसाद, विश्वनाथ प्रसाद ,पप्पू गुप्ता,धीरज गुप्ता,रामबाबू प्रसाद,अमित कुमार,सहित अन्य लोग शामिल थे। 

भक्तों ने गाजे-बाजे के साथ निकाली कलश यात्रा

अनुमंडल क्षेत्र के वृंदावन चौक स्थित हनुमान मंदिर परिसर में हो रहे (दुर्गा पूजा) चैत्र नवरात्र को लेकर शुक्रवार को गाजे-बाजे, हाथी -घोड़ा, रथ के साथ भव्य कलश यात्रा निकाली गई। कलश यात्रा में 1051 कन्याओं ने भाग लिया। कलश यात्रा पूजा स्थल से शुरू होकर फुलवरिया, माधोपुर गांव का भ्रमण करते हुए बलि बेलवा नहर पहुंची। जहां आचार्य संजय कुमार ओझा के आचार्यत्व में वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ श्रद्धालुओं ने जलबोझी किया। जल भर कर यात्रा वापस पूजा स्थल पहुंची।
पूजा व जल यात्रा को सफल बनाने में श्रीदुर्गा पूजा समिति के अध्यक्ष अवधेश कुमार साह, सचिव हरेंद्र प्रसाद, कोषाध्यक्ष सुबोध कुमार साह, व्यवस्थापक रामनरेश साह व उजाला कुमार, बृज राज कुमार, हरेन्द्र प्रसाद, हरिकिशोर साह, नवल प्रसाद, रवि कुमार, रंजीत गोस्वामी, शशिकांत पांडेय, भूखल सिंह सहित विधायक सचिंद्र प्रसाद सिंह सहित अन्य शामिल थे।
ज्ञात हो कि पूजा की शुरुआत इस वर्ष से हुई है। मेला में विभिन्न प्रकार के झूला सहित अन्य मनोरंजन के साधन का भी आयोजन किया गया है। 

चकिया में नवरात्र पूजा के दौरान निकाली गई कलश यात्रा में शामिल लोग। 

13 अप्रैल तक आर्म्स जमा करेंगे लाइसेंसधारी लोग

थाना क्षेत्र में कुल 85 शस्त्र अनुज्ञप्तिधारी हैं। जिसमें शुक्रवार तक 16 अनुज्ञप्तिधारियों ने अपना शस्त्र थाना में जमा करा दिया है।

इस बाबत थानाध्यक्ष सह इंस्पेक्टर संजय कुमार ने बताया कि बचे अनुज्ञप्तिधारी 13 अप्रैल तक शस्त्र जमा कराएं, नहीं तो उनके विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की जाएगी। 

बखर गांव में अगलगी में चार घर जले

थाना क्षेत्र के कोयला बेलवा पंचायत के बखरी गांव में बीती रात अचानक लगी आग से चार घर जलकर राख हो गया। सूचना पर पहुंचे अग्निशामक दस्ता ने आग पर पूरी तरह से काबू पाया। जिससे आग आगे फैलने से रुक गई। अगलगी में बद्री सहनी के घर में रखा नकद, आभूषण, एक बाइक अन्य वस्तुएं सहित एक बकरी जल कर मर गई। वहीं सत्येंद्र सहनी, बिजली सहनी, जितेंद्र सहनी के घर में रखा नगद, आभूषण, अनाज, फर्निचर, खाने-पीने की वस्तुएं जल कर राख हो गई। अगलगी में लाखों रुपये की संपति जल गई। कल्याणपुर सीओ ने बताया कि आपदा प्रबंधन के मानकों के आलोक मे पीड़ित परिवार को मुआवजा दिया जाएगा। 

bhaskar.com

केसरिया स्तूप की भव्यता की छांव में चाहिए आवश्यक सुविधाएं

केसरिया का नाम सामने आते ही विश्व प्रसिद्ध बौद्ध स्तूप की तस्वीर जेहन में उभरने लगती है। अगर किसी ने नहीं देखा है तो इस ऐतिहासिक स्मारक को देखने की चाह मजबूत होने लगती है। हालांकि, अब तक इस स्तूप के उत्खनन का काम पूरा नहीं हो सका है। मगर इस दिशा में तेजी से काम हो रहे हैं। भारतीय पुरातत्व संरक्षण (एएसआइ) द्वारा इस स्मारक के उत्खनन एवं संरक्षण का काम किया जा रहा है। प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में यहां देशी-विदेशी सैलानी आते हैं। स्तूप के दीदार से रोमांचित भी होते हैं। यहां की यादों को सहेजते हुए लौट जाते हैं। मगर इन यादों में कुछ ऐसी बातें भी होती हैं, जिन्हें सुखद नहीं कहा जा सकता। बौद्ध स्तूप को देखने सात समंदर पार से आए इन सैलानियों की बुनियादी जरूरतों के लिए अब तक यहां संरचनाओं को विकसित नहीं किया जा सका है। जो थोड़े बहुत हैं भी वे अभी उपयोग की स्थिति में नहीं हैं। जाहिर है कि इन कटु अनुभवों को भी पर्यटक अपने साथ ले जाते हैं। मोतिहारी से संजय कुमार सिंह की रपट।

आधारभूत संरचनाओं का है अभाव केसरिया बौद्ध स्तूप को देखने आने वाले पर्यटकों के लिए स्तूप के आसपास बुनियादी जरूरतों को लेकर संरचनाएं विकसित नहीं की जा सकीं हैं। हालांकि, इस मामले में कुछ तकनीकी अड़चनें भी हैं। स्तूप के दो सौ मीटर की परिधि में किसी भी तरह का निर्माण कार्य वर्जित है। इस दायरे में केवल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ही कुछ कर सकता है। यहां आने वाले पर्यटकों के लिए शौचालय से लेकर शुद्ध पेयजल तक का अभाव है। आवासन की भी कोई व्यवस्था अब तक आकार नहीं ले सकी है। स्तूप परिसर में एएसआइ द्वारा हाल ही में शौचालय का निर्माण शुरू किया गया है। वहीं, बिहार सरकार द्वारा स्तूप परिसर से बाहर स्टेट हाइवे 74 के किनारे पर्यटकों के लिए कैफेटेरिया एवं पार्क के निर्माण की पहल की गई है। भवन व चहारदीवारी का काम पूरा हो गया है। मगर सड़क से कैफेटेरिया के बीच अब तक रास्ता नहीं है। परिणाम स्वरूप इस व्यवस्था का भी लाभ पर्यटकों को नहीं मिल रहा है। इससे पहले स्तूप से करीब चार किलोमीटर दूर प्रखंड कार्यालय परिसर में भी पर्यटक भवन का निर्माण कराया गया। मगर उसकी अव्यवहारिक भौगोलिक स्थिति पर्यटकों के लिए हितकर नहीं है। इस भवन का उपयोग सरकारी कामकाज के लिए हो रहा है। वाहन पड़ाव की भी है दरकार स्तूप की भव्यता को देखने यहां प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में पर्यटक आते हैं। उनके साथ वाहनों का काफिला भी होता है। मगर उन वाहनों के लिए स्तूप के आसपास कोई पड़ाव नहीं है। ऐसी स्थिति में इन वाहनों को सड़क किनारे ही खड़े कर दिए जाते हैं। स्टेट हाइवे की अति व्यस्त सड़क के किनारे खड़े वाहनों से उतरना-चढ़ना काफी जोखिम भरा काम होता है। हमेशा दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। पर्यटकों की आवाजाही के कारण इस स्थान पर भीड़भाड़ बनी रहती है। पर्यटक सूचना केंद्र का अभाव विश्व प्रसिद्ध इस ऐतिहासिक स्थल पर पर्यटन विभाग की ओर से अब तक कोई उल्लेखनीय काम नहीं किया गया है। यहां आने वाले पर्यटकों के लिए सूचना केंद्र भी स्थापित नहीं किया जा सका है। खासकर विदेशी पर्यटकों को कई तरह की जानकारियों की दरकार होती है। ज्यादातर समूह में ही पर्यटक आते हैं। यहां तक की कई बार बाइक से भी पर्यटकों को आते-जाते देखा गया है। ये यहां आने के बाद आसपास के दर्शनीय स्थलों के बारे में जानना भी चाहते हैं। मगर भाषाई दिक्कत भी सामने होती है। आवासान की नहीं है व्यवस्था वर्ष 1998 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा स्तूप का उत्खनन कार्य प्रारंभ किया गया था। पूर्व में इसे देउर अथवा राजा वेणु के गढ़ के रूप में जाना जाता था। उत्खनन में मिले साक्ष्य के आधार पर इसे बौद्ध स्तूप घोषित किया गया। तब से सैलानियों के आने-जाने का सिलसिला शुरू हो गया। मगर इतने समय बीत जाने के बाद भी पर्यटकों के लिए आवासन की व्यवस्था नहीं हो सकी। जो हुई उसका उपयोग ही नहीं हो पा रहा है। ऐसे में पर्यटकों का ठहराव केसरिया में नहीं हो पाता है। कई बार ऐसी स्थिति सामने आई है जब कोई अकेला पर्यटक देर शाम यहां पहुंचा और उसे आवासन की समस्या से जूझना पड़ा है। उन्हें जिला परिषद की जीर्ण शीर्ण विश्राम गृह में रुकना पड़ा। हालांकि, निजी तौर पर अब कुछ विकल्प तैयार हुए हैं। मगर उनकी क्षमता बेहद कम है।

source: jagran.com

मतदाता जागरूकता कार्यक्रम के तहत स्कूली बच्चों ने निकाली रैली, वोट करने के लिए किया गया प्रेरित

बाबूलाल साह कन्या प्लस टू उच्च विद्यालय में लोकसभा चुनाव को लेकर मतदाता जागरूकता कार्यक्रम चलाया गया। इस दौरान रैली निकाली गई व विद्यालय परिसर में पेंटिंग प्रतियोगिता तथा निर्वाचक साक्षरता क्लब कार्यक्रम का आयोजन किया गया। विद्यालय के शिक्षक व छात्राओं से शपथ पत्र लिया गया। रैली विद्यालय परिसर से प्रभारी प्रधानाध्यापिका एकता वर्मा के नेतृत्व में निकाली गई। जो शहर के मुख्य मार्गों का भ्रमण की। इस दौरान शामिल बच्चों ने “पहले मतदान, फिर जलपान, “सत्य व ईमान से सरकार बने मतदान से” आदि गगनभेदी नारे लगाए। रैली में शिक्षक मृगेंद्र कुमार सिंह, प्रेम कुमार, शत्रुघ्न प्रसाद, जगन्नाथ प्रसाद ,ममता मिश्रा सहित अन्य शिक्षक अभिभावक शामिल हुए। वहीं विद्यालय में निर्वाचक साक्षरता क्लब के तहत नोडल पदाधिकारी स्वीप कोषांग सुनील कुमार श्रीवास्तव एवं वरीय शिक्षक सह नोडल पदाधिकारी मृगेंद्र कुमार सिंह की देखरेख में छात्राओं को मतदान के लिए प्रेरित करने पर बल दिया गया। मतदान से संबंधित विषयों पर आधारित पेंटिंग प्रतियोगिता आयोजित की गई। प्रतियोगिता में प्रथम चित्रांगदा, द्वितीय संजना कुमारी व तृतीय सलोनी कुमारी रही। इस बाबत प्रभारी प्रधानाध्यापिका ने बताया कि सफल छात्राओं को पुरस्कृत किया जाएगा। 

मतदान करने के लिए शपथ पत्र के साथ छात्राएं व शिक्षक। 

source: bhaskar.com

डकैती कांड का आरोपित कचहरी चौक से धराया

चकिया थाने क बारागोविन्द गांव के रिटायर्ड कर्नल पुण्यदेव देव के घर डकैती में शामिल बदमाश को चकिया पुलिस ने कचहरी चौक से गिरफ्तार कर लिया। उसके पास से लूट की साड़ी व बैग बरामद किये गये। गिरफ्तार डकैत का नाम भुनटुन राय है, जो राजेपुर थाना क्षेत्र के मुरना पुर गांव का निवासी है। चकिया इंस्पेक्टर संजय कुमार का कहना है कि वह चार जिलों में तीस डकैती कांड में चार्जशीटेड है। पुलिस टीम उससे पूछताछ कर रही है। 06 मार्च की रात चकिया थाना के बारागोविन्द निवासी रिटायर्ड कर्नल पुण्यदेव देव के घर से डकैतों ने तीस लाख की सम्पत्ति लूटी थी। इस मामले में अज्ञात पर चकिया थाने में एफआईआर दर्ज की गयी थी। घटना के बाद पुलिस पूर्व में तीन डकैतों को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत भेज चुकी है। कचहरी चौक से धराया भुनटुन से पूछताछ में खुलासा हुआ कि मुजफ्फरपुर, शिवहर, सीतामढ़ी, पूर्वीचम्पारण, बेतिया जिलों में डकैती के कई मामले दर्ज है। तीस कांडों में उसके खिलाफ चार्जशीट भी दाखिल की जा चुकी है।

source: livehindustan.com

सेवानिवृत्त कर्नल के घर डकैती मामले में एक गिरफ्तार

चकिया थाना के बारा गोविन्द गांव निवासी रिटायर्ड कर्नल पूण्यदेव राय के घर में बीते छह मार्च को डाका डालकर दस लाख की संपति लूटने के साथ गृहस्वामी सहित उनके भाई अजय देव को बदमाशों ने जख्मी कर दिया था। पुलिस ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए राजेपुर निवासी ज्ञानचंद्र सहनी को गिरफ्तार कर लिया। उसके पास से लूटी गई सेलफोन को पुलिस ने बरामद कर लिया है। चकिया डीएसपी शैलेंद्र कुमार ने बताया कि पुलिस ने मामले में अब तक कुल तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। जिसमें राजेपुर निवासी बाबूलाल पासवान उर्फ बुढ़वा व सिकंदर सहनी को जेल भेज दिया गया है। वहीं लूटी गई कम्प्यूटर भी जब्त किया गया है। मामले में कम्प्यूटर पर पाए गए फिगर प्रिट निकाला जाएगा, जिसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए न्यायालय को लिखा गया है। अनुमति मिलने के बाद सभी गिरफ्तार बदमाशों के फिगर प्रिट निकाला जाएगा, जिसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। चकिया के पुलिस निरीक्षक संजय कुमार सिंह लगातार छापेमारी कर रहे है। अब तक कुल तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है, शेष के गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है।

source: jagran.com

रोजगार की संभावनाओं पर लगाया विराम : मेहसी

मेहसी । देश में लीची के सर्वाधिक उत्पादन को ले मेहसी का नाम शीर्ष पर आज भी चमक रहा है। इसे संजोए रखने के लिए काम भी हो रहे हैं। इस पर शोध भी हो रहे हैं। हर बार नए पौधे भी लगते हैं। लीची के साथ शहद उत्पादन को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इस दिशा में कृषि विभाग द्वारा उद्यान के माध्यम से किसानों के बीच शहद संग्रह के लिए उपकरण भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं। किसान इससे जुड़ भी रहे हैं। विभाग मदद के साथ अनुदान भी दे रहा है। वैज्ञानिक प्रशिक्षण दे रहे हैं। पुरुष के साथ-साथ महिला किसानों को भी प्रोत्साहित कर शहद संग्रह को रोजगार से जोड़ने की कवायद तेज हो गई है। हालांकि, मधु प्रशोधन शुरू नहीं हो पाने का दर्द शहद उत्पादन से जुड़े किसानों के चेहरे पर सीधे दिख जा रहे हैं। जो निर्माण के 17 वर्ष बाद भी चालू नहीं हो सका। कई अधिकारी आए और गए, लेकिन किसी ने उस कंपनी को खोजने की जहमत नहीं दिखाई, जिसे चेक के माध्यम से भुगतान किया गया। विधान परिषद में मामला उठा लेकिन, नतीजा ढाक के तीन पात। बीच के समय में एक कंपनी ने मशीन भी लगाए। उम्मीद जगी और करीब दस हजार लोगों को रोजगार से जोड़ने की संभावनाएं प्रबल हो गई। दुर्भाग्य यह कि केंद्र में ताले लटक गए और उम्मीदें पूरी नहीं हुई। मेहसी से शशिभूषण कुमार की रपट। दस हजार लोगों को मिलेगा रोजगार हम खड़े हैं पूर्वी चंपारण लोकसभा क्षेत्र स्थित लीची उत्पादक क्षेत्र लीचीपुरम मेहसी में शहद उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए डेढ़ दशक पूर्व 11.17 लाख की लागत से बने मधु प्रशोधन संयंत्र के पास। तब इसके स्थापना का उद्देश्य शहद उत्पादन को बढ़ावा के साथ-साथ रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना था। यह नगर पंचायत के वार्ड एक से चार के परिक्षेत्र के केंद्र में स्थापित है। आगे बढ़े तो मधु प्रशोधन के बंद पड़े भवन के आसपास शहद के उत्पादन व व्यवसाय से जुड़े आनंदी ठाकुर, योगेंद्र मिश्रा व कपिलदेव शुक्ला मिले। इनके मन में इसके शुरू नहीं होने की कशक समझी जा सकती है। आनंदी ठाकुर कहते हैं इसके निर्माण से यह आस जगी थी कि अब मेहसी देश की पटल पर लीची के साथ शहद के उत्पादन के लिए भी चर्चित होगा। रोजगार बढ़ेंगे। लोगों की माली हालत बदलेगी। साथ ही समाज की सूरत भी..। योगेंद्र मिश्रा कहते हैं इसके निर्माण के समय यह समझा जाता था कि दस हजार लोगों को रोजगार मिल सकेगा। लेकिन, होनी को कुछ और मंजूर था। यह भी चर्चा रही कि मशीन की आपूर्ति करने वाली कंपनी का भुगतान का पैसा लेकर चंपत हो गई। बाद में एक मशीन पहुंची जो आज तक चली नहीं। तो जिम्मेदार कौन है..। और क्या कार्रवाई हुई यह आज भी यक्ष प्रश्न बना हुआ है। कपिलदेव शुक्ला का भी दर्द कुछ इस तरह का ही है। कहते हैं अगर यह शुरू हो गया होता तो आज मेहसी देश के पटल पर अपनी अलग पहचान बनाता। रोजगार की तलाश में युवाओं को भटकने की विवशता नहीं होगी। हरियाणा की कंपनी को मिली थी मशीन लगाने की जिम्मेदारी


इस परियोजना में उपयोग होने वाली मशीनों को उपलब्ध कराने के लिए हरियाणा की एक कंपनी का चयन किया गया। मशीन आने में देरी होने पर जब पड़ताल हुई तो कंपनी ने एक मशीन भेज दी, वह भी खराब। लोगों कि शिकायत पर जब जिला प्रशासन ने कंपनी की खोज शुरू की तो पता चला कि हरियाणा में इस तरह की कोई कंपनी ही नहीं है। इस बीच मशीन लगाने पहुंचे कंपनी का चीफ एक्सक्यूटिव अजय परासर भी बिना मशीन लगाए फरार हो गए। चेक से कंपनी को भुगतान किए जाने के बाद भी इस दिशा में ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी। संभावानों को भांप जिलाधिकारी ने शुरू की थी पहल मेहसी में मधु प्रशोधन की अपार संभावनाओं को देखते हुए तत्कालीन जिलाधिकारी दीपक कुमार ने शहद प्लांट लगाने की पहल शुरू की थी। जिलाधिकारी हीरालाल ने पहल को आगे बढ़ाते हुए वर्ष 2003 में मशीन की आपूर्ति के लिए निविदा निकाली। तब जिलाधिकारी एस शिवकुमार के कार्यकाल में हरियाणा की एपीजी इंस्ट्रीज, टिंबर मार्केट सहारनपुर रोड यमुनानगर की संगम इंजीनियरिग व‌र्क्स का चयन मेहसी में प्रोसेसिग प्लांट स्थापित करने के लिए किया गया। कंपनी ने कुछ दिन बाद मशीन गिराया और चालू करने के लिए 10 केवीए के जेनरेटर की बात कही, जिसे लगाया गया, लेकिन कंपनी का एक्सक्यूटिव परासर भुगतान ले बिना मशीन चालू कराए फरार हो चुका था। विधान परिषद में भी गूंजा मामला घोटाला के रूप में इस प्रकरण के सामने आने के बाद विधान पार्षद केदारनाथ पांडेय ने 01 जून 2004 को विधान परिषद में इस मामले को उठाया। विधान परिषद के सभापति द्वारा भेजे गए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव को पटना से 122 किलोमीटर मेहसी पहुंचने पर एक वर्ष नौ माह लग गए। 23 मार्च 2006 को इसके मेहसी पहुंचने के साथ प्रशासन में थोड़ी-सी हलचल दिखी। लेकिन, कहावत ढाक के तीन पात वाली साबित हुई। लोग नाउम्मीद हो चुके थे। किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था। सरकारी बाबू की ठसक देख लोगों ने भी चुप्पी साध ली। स्वयंसेवी संस्था को मिली जिम्मेदारी जांच का मामला शांत होने के बाद जिला प्रशासन ने खादी ग्रामोद्योग के विशेषज्ञों को बुलाकर इस मशीन को प्रारंभ कराने का भी प्रयास किया, लेकिन विशेषज्ञों ने इसे नकारा घोषित कर दिया। बाद में 2008-09 में जिला प्रशासन ने वत्स भारती नामक स्वयंसेवी संस्था को मशीन चलाने की जिम्मेदारी सौंपी। संस्था ने प्रखंड मुख्यालय में स्थापित भवन पर बड़े अक्षरों में अपना नाम तो लिखवा दिया, लेकिन मशीन को चालू करने की दिशा में कोई पहल नहीं हुई। 17 वर्षो के लंबे इंतजार के बाद भी प्रोसेसिग प्लांट के चालू होने की आशा आज भी शहद उत्पादकों में दिख रही हैं। शहद उत्पादक इस प्रकरण में उच्चस्तरीय जांच कराकर दोषियों के विरुद्ध उचित कार्रवाई करने की मांग भी जिलाधिकारी रमण कुमार से की है।

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अभाविप ने प्राचार्य को छात्रों की समस्या से कराया अवगत

एसआरएपी कॉलेज की अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के शिष्टमंडल ने शनिवार को प्राचार्य से मिलकर उन्हें छात्रों की समस्याओं से अवगत कराया। जिसमें विश्वविद्यालय से स्नातक तृतीय खंड के टीआर के आने में देरी होना सहित अन्य समस्याएं थी। प्राचार्य ने बताया कि विज्ञान तथा कला का टीआर कॉलेज में उपलब्ध है। वाणिज्य का टीआर जल्द उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया। शिष्टमण्डल में कॉलेज प्रतिनिधि एवं नगर सह मंत्री अमित शर्मा, कॉलेज अध्यक्ष आशुतोष कुमार, छात्रसंघ कोषाध्यक्ष बृजराज, मंत्री श्रीकांत गुप्ता, राहुल गुप्ता, नवीन कुमार, महासचिव सौरभ पांडेय, आनंद सिंह, सुजीत शर्मा थे। 

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