खुले में हो रही मांस-मछली की बिक्री, प्रशासन नहीं कर रहा कार्रवाई
शहर में नियमों का उल्लंघन करते हुए खुले में मांस और मछली की बिक्री की जा रही है। इस समस्या का सबसे अधिक प्रभाव रूपमहल सिनेमा हॉल के पास देखने को मिल रहा है। यह महत्वपूर्ण सड़क रोजाना हजारों लोगों द्वारा रेलवे स्टेशन जाने के लिए उपयोग की जाती है। वहीं, मुजफ्फरपुर रोड पर चकिया थाना के समीप भी कई लोग अपने कार्यों के सिलसिले में आते हैं और इस स्थिति का सामना कर रहे हैं। चकिया थाना के निकट खुले में मछलियों की बिक्री हो रही है, जबकि शहर के अन्य सड़कों और चौक-चौराहों पर भी मांस-मछली की दुकानें बिना लाइसेंस के संचालित हो रही हैं।
यहां तक कि कई स्थलों पर मंदिरों के निकट भी मांस और मछली की बिक्री हो रही है, लेकिन जिम्मेदारों द्वारा इस पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। ऐसे में खुले में मांस और मछली की बिक्री से संक्रमण का खतरा भी बना रहता है, और बकरे तथा मुर्गे के मांस से उठने वाली दुर्गंध लोगों को परेशान करती है। मछली रखने के लिए जो बर्तन में पानी भरकर रखा जाता है, वह सड़क पर बहा दिया जाता है जिससे आसपास की स्वच्छता पर असर पड़ता है। दुकानों के संचालक इन स्थितियों की अनदेखी कर रहे हैं, जबरदस्त तरीके से नियमों को उल्लंघन करते हुए मांस बिक्री का कारोबार कर रहे हैं।
सड़क किनारे बकरे और मुर्गे की दुकानें गुमटियों और स्थायी स्थानों से चलाई जा रही हैं। हैरत की बात यह है कि कुछ दुकानदार बीमार बकरों और मुर्गों का मांस बेचकर लोगों की सेहत से खिलवाड़ कर रहे हैं। साफ-सफाई की कोई भी चिंता नहीं दिखाई दे रही है जिससे वहां से गुजरने वाली महिलाओं को नाक बंद कर चलना पड़ता है। शाकाहारी लोगों का हाल तो और खराब हो जाता है।
सभी व्यवस्थाओं की अनदेखी पुलिस, नगर परिषद और पशुपालन विभाग के संरक्षण में हो रही है, जिसके कारण खुले में मांस बेचने का कारोबार प्रारंभ है। खुले में जानवरों को काटना और बेचने पर प्रतिबंध होते हुए भी इसका उल्लंघन हो रहा है। बुरा तो यह कि बिक रहे जानवरों की स्वास्थ्य जांच भी नहीं हो रही है। दुकानदारों द्वारा फुटपाथ पर टाट आदि लगाकर मांस को छुपाने की भी व्यवस्था नहीं की जा रही है, जबकि यह आवश्यक है।
कानून के अनुसार, 1960 के प्रिवेंशन ऑफ क्रूएल्टी टू एनिमल एक्ट के तहत अवैध रूप से मांस की दुकानें लगाना और पशुओं के प्रति हिंसा करना प्रतिबंधित है। इन नियमों को लागू करने वाले विभिन्न विभागों को शक्ति प्रदान की गई है, लेकिन उन शक्तियों का उपयोग नहीं किया जा रहा है। बिना लाइसेंस वाले दुकानों को नगर परिषद बंद कर सकती है या फुटपाथ से हटा सकती है। नियम स्पष्ट हैं कि बिना अनुज्ञप्ति के मांस की दुकानें नहीं चलनी चाहिए, मांस को खुले में नहीं बेचा जाना चाहिए और काटे गए जानवरों के अवशेष को व्यवस्थित रूप से disposing किया जाना चाहिए। औजारों को संक्रमण रहित करने के बाद ही जानवरों को काटने की प्रक्रिया अपनानी चाहिए, परंतु अफसोस कि यह सब कहीं दिखाई नहीं दे रहा है।
source: दैनिक उजाला
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