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Tag: East Champaran

People in Locomotive Engine

सप्तक्रांति एक्सप्रेस से फुट प्लेटिग कर हुई स्पीड की जांच

मुजफ्फरपुर – नरकटियागंज रेलखंड पर मेन लाइन ट्रैक के उन्नयन कार्य संपन्न होने के बाद सहायक मंडल अभियंता अर्जुन सिंह के नेतृत्व में शनिवार को सप्तक्रांति एक्सप्रेस स्पेशल ट्रेन से बापूधाम मोतिहारी से नरकटियागंज स्टेशन तक मेन लाइन के स्पीड का ट्रायल कर जांच की गई। जांच के दौरान स्पीड दोगुना होने लायक पाया गया।

यहां बता दें कि कोरोना काल में मंडल अभियंता श्री सिंह के नेतृत्व में इंजीनियरिग विभाग के कर्मी मेन लाइन ट्रैक के मजबूतीकरण एवं उन्नयन कार्य में लगे हुए थे। कार्य समाप्ति के बाद लाइन के स्पीड का ट्रायल किया गया। अब रेल गाड़ियों के परिचालन में समय की बचत होगी और आम यात्री इसका लाभ उठा सकेंगे। स्पीड ट्रायल के दौरान मंडल अभियंता के साथ इंजीनियरिग विभाग के कई कर्मी मौजूद थे।


हॉन्गकॉन्ग ने कोरोना की वजह से चुनाव टाला।

हॉन्गकॉन्ग ने कोरोना महामारी की वजह से एक साल के लिए चुनाव टाला। वही बिहार में सत्ता में आने या बने रहने के लिए हमारे रहनुमाई नेता तथा सुशाशन व्यवस्था चुनाव के लिए अग्रसर हैं न स्वास्थ्य की चिंता हैं न लोगो का ध्यान। बाढ़ से कितनी आबादी त्रस्त है फिर भी इनको चुनाव का महापर्व मनाना हैं और कोई नही हैं काम बस चुनाव चुनाव करना हैं यही हैं एक काम।

आप अपनी राय दे चुनाव के लिए।

रोजगार की संभावनाओं पर लगाया विराम : मेहसी

मेहसी । देश में लीची के सर्वाधिक उत्पादन को ले मेहसी का नाम शीर्ष पर आज भी चमक रहा है। इसे संजोए रखने के लिए काम भी हो रहे हैं। इस पर शोध भी हो रहे हैं। हर बार नए पौधे भी लगते हैं। लीची के साथ शहद उत्पादन को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इस दिशा में कृषि विभाग द्वारा उद्यान के माध्यम से किसानों के बीच शहद संग्रह के लिए उपकरण भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं। किसान इससे जुड़ भी रहे हैं। विभाग मदद के साथ अनुदान भी दे रहा है। वैज्ञानिक प्रशिक्षण दे रहे हैं। पुरुष के साथ-साथ महिला किसानों को भी प्रोत्साहित कर शहद संग्रह को रोजगार से जोड़ने की कवायद तेज हो गई है। हालांकि, मधु प्रशोधन शुरू नहीं हो पाने का दर्द शहद उत्पादन से जुड़े किसानों के चेहरे पर सीधे दिख जा रहे हैं। जो निर्माण के 17 वर्ष बाद भी चालू नहीं हो सका। कई अधिकारी आए और गए, लेकिन किसी ने उस कंपनी को खोजने की जहमत नहीं दिखाई, जिसे चेक के माध्यम से भुगतान किया गया। विधान परिषद में मामला उठा लेकिन, नतीजा ढाक के तीन पात। बीच के समय में एक कंपनी ने मशीन भी लगाए। उम्मीद जगी और करीब दस हजार लोगों को रोजगार से जोड़ने की संभावनाएं प्रबल हो गई। दुर्भाग्य यह कि केंद्र में ताले लटक गए और उम्मीदें पूरी नहीं हुई। मेहसी से शशिभूषण कुमार की रपट। दस हजार लोगों को मिलेगा रोजगार हम खड़े हैं पूर्वी चंपारण लोकसभा क्षेत्र स्थित लीची उत्पादक क्षेत्र लीचीपुरम मेहसी में शहद उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए डेढ़ दशक पूर्व 11.17 लाख की लागत से बने मधु प्रशोधन संयंत्र के पास। तब इसके स्थापना का उद्देश्य शहद उत्पादन को बढ़ावा के साथ-साथ रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना था। यह नगर पंचायत के वार्ड एक से चार के परिक्षेत्र के केंद्र में स्थापित है। आगे बढ़े तो मधु प्रशोधन के बंद पड़े भवन के आसपास शहद के उत्पादन व व्यवसाय से जुड़े आनंदी ठाकुर, योगेंद्र मिश्रा व कपिलदेव शुक्ला मिले। इनके मन में इसके शुरू नहीं होने की कशक समझी जा सकती है। आनंदी ठाकुर कहते हैं इसके निर्माण से यह आस जगी थी कि अब मेहसी देश की पटल पर लीची के साथ शहद के उत्पादन के लिए भी चर्चित होगा। रोजगार बढ़ेंगे। लोगों की माली हालत बदलेगी। साथ ही समाज की सूरत भी..। योगेंद्र मिश्रा कहते हैं इसके निर्माण के समय यह समझा जाता था कि दस हजार लोगों को रोजगार मिल सकेगा। लेकिन, होनी को कुछ और मंजूर था। यह भी चर्चा रही कि मशीन की आपूर्ति करने वाली कंपनी का भुगतान का पैसा लेकर चंपत हो गई। बाद में एक मशीन पहुंची जो आज तक चली नहीं। तो जिम्मेदार कौन है..। और क्या कार्रवाई हुई यह आज भी यक्ष प्रश्न बना हुआ है। कपिलदेव शुक्ला का भी दर्द कुछ इस तरह का ही है। कहते हैं अगर यह शुरू हो गया होता तो आज मेहसी देश के पटल पर अपनी अलग पहचान बनाता। रोजगार की तलाश में युवाओं को भटकने की विवशता नहीं होगी। हरियाणा की कंपनी को मिली थी मशीन लगाने की जिम्मेदारी


इस परियोजना में उपयोग होने वाली मशीनों को उपलब्ध कराने के लिए हरियाणा की एक कंपनी का चयन किया गया। मशीन आने में देरी होने पर जब पड़ताल हुई तो कंपनी ने एक मशीन भेज दी, वह भी खराब। लोगों कि शिकायत पर जब जिला प्रशासन ने कंपनी की खोज शुरू की तो पता चला कि हरियाणा में इस तरह की कोई कंपनी ही नहीं है। इस बीच मशीन लगाने पहुंचे कंपनी का चीफ एक्सक्यूटिव अजय परासर भी बिना मशीन लगाए फरार हो गए। चेक से कंपनी को भुगतान किए जाने के बाद भी इस दिशा में ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी। संभावानों को भांप जिलाधिकारी ने शुरू की थी पहल मेहसी में मधु प्रशोधन की अपार संभावनाओं को देखते हुए तत्कालीन जिलाधिकारी दीपक कुमार ने शहद प्लांट लगाने की पहल शुरू की थी। जिलाधिकारी हीरालाल ने पहल को आगे बढ़ाते हुए वर्ष 2003 में मशीन की आपूर्ति के लिए निविदा निकाली। तब जिलाधिकारी एस शिवकुमार के कार्यकाल में हरियाणा की एपीजी इंस्ट्रीज, टिंबर मार्केट सहारनपुर रोड यमुनानगर की संगम इंजीनियरिग व‌र्क्स का चयन मेहसी में प्रोसेसिग प्लांट स्थापित करने के लिए किया गया। कंपनी ने कुछ दिन बाद मशीन गिराया और चालू करने के लिए 10 केवीए के जेनरेटर की बात कही, जिसे लगाया गया, लेकिन कंपनी का एक्सक्यूटिव परासर भुगतान ले बिना मशीन चालू कराए फरार हो चुका था। विधान परिषद में भी गूंजा मामला घोटाला के रूप में इस प्रकरण के सामने आने के बाद विधान पार्षद केदारनाथ पांडेय ने 01 जून 2004 को विधान परिषद में इस मामले को उठाया। विधान परिषद के सभापति द्वारा भेजे गए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव को पटना से 122 किलोमीटर मेहसी पहुंचने पर एक वर्ष नौ माह लग गए। 23 मार्च 2006 को इसके मेहसी पहुंचने के साथ प्रशासन में थोड़ी-सी हलचल दिखी। लेकिन, कहावत ढाक के तीन पात वाली साबित हुई। लोग नाउम्मीद हो चुके थे। किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था। सरकारी बाबू की ठसक देख लोगों ने भी चुप्पी साध ली। स्वयंसेवी संस्था को मिली जिम्मेदारी जांच का मामला शांत होने के बाद जिला प्रशासन ने खादी ग्रामोद्योग के विशेषज्ञों को बुलाकर इस मशीन को प्रारंभ कराने का भी प्रयास किया, लेकिन विशेषज्ञों ने इसे नकारा घोषित कर दिया। बाद में 2008-09 में जिला प्रशासन ने वत्स भारती नामक स्वयंसेवी संस्था को मशीन चलाने की जिम्मेदारी सौंपी। संस्था ने प्रखंड मुख्यालय में स्थापित भवन पर बड़े अक्षरों में अपना नाम तो लिखवा दिया, लेकिन मशीन को चालू करने की दिशा में कोई पहल नहीं हुई। 17 वर्षो के लंबे इंतजार के बाद भी प्रोसेसिग प्लांट के चालू होने की आशा आज भी शहद उत्पादकों में दिख रही हैं। शहद उत्पादक इस प्रकरण में उच्चस्तरीय जांच कराकर दोषियों के विरुद्ध उचित कार्रवाई करने की मांग भी जिलाधिकारी रमण कुमार से की है।

source: jagran.com

कछुआ नदी पर पुल निर्माण से विकास की तेज होगी रफ्तार : मंत्री

सिसहनी स्थित कछुआ नदी पर पुल बन जाने से मधुबन व चिरैया विधानसभा के लोग सीधे लाभान्वित होंगे। इसके लिए पूर्व मंत्री स्व. सीताराम ¨सह ने भी प्रयास किया, पर पुल का निर्माण संभव नहीं हो सका। सूबे की सरकार ने इसके महत्व को देखते हुए पुल निर्माण की अनुमति दे दी है। अब पुल का निर्माण कार्य जल्द ही प्रारंभ होगा। उक्त बातें सहकारिता मंत्री ई. राणा रणधीर ¨सह ने नाबार्ड से बनने जा रही तीन करोड़ की लागत से बनने जा रहे पुल का शिलान्यास करने के बाद कही। उन्होंने सरकार के महत्वपूर्ण योजनाओं के बारे मे भी विस्तृत रूप से जानकारी दी। कहा कि पुल के निर्माण होने से विकास की रफ्तार तेज होगी। साथ ही शिवहर-सीतामढ़ी से यह क्षेत्र सीधा जुड़ जाएगा। उन्होंने बच्चों को उचित शिक्षा देने की अपील की। सांसद रमा देवी ने कहा कि आज हम सिसहनी के जनता को पुल की मांग को पूरा करते हुए काफी खुश हैं। उन्होंने केंद्र द्धारा आयुष्मान योजना समेत कई योजनाओं के बारे में लोगों को जानकारी दी। मौके पर पूर्व मुखिया विजय कुमार ¨सह, अशोक सिह, पूर्व जिप सदस्य मनोज जायसवाल, आकाश गुप्ता, अनिल प्रसाद, हरेंद्र ¨सह,गोपाल प्रसाद, रत्नेश ¨सह, सुरेंद्र प्रसाद, प्रखंड प्रमुख गीता देवी, नागेंद्र ¨सह, सुधाकर ¨सह, सुनील सहनी, संजय कुशवाहा, प्रेमशंकर पासवान, शुभम शमा, मनोज ¨सह, मनीष कुमार, भोला पासवान, रामनरेश प्रसाद मौजूद थे। मुखिया अखिलेश कुमार ने आगंतुकों को पंचायत की तरफ से स्वागत किया। 18 माह में पुल से आवागमन होगया प्रारंभ तीन करोड़ की लागत से बनने वाले इस पुल के निर्माण के लिए 18 माह का वक्त दिया गया है। कहा गया है कि 18 माह के बाद इसपुल से आवागमन प्रारंभ हो जाएगा।


संवेदक सह वैशाली कस्ट्रक्शन के प्रोपराइटर मनीष कुमार ने दी। बताया कि पुल के निर्माण पर 3.11करोड़ खर्च होंगे। पहुंच पथ की लंबाई 350 मीटर होगी। 45 मीटर की तीन के तीन स्लेब होंगे। पुल के शिलान्यास होने से आम लोगों में खुशी है। बताया गया कि चार दशक से कछुआ नदी पर बने पुल सह स्लुईस गेट ध्वस्त हो गई थी। तब से सिसहनी, अजगरवा, अजगरी, परसौनी, बलुआ, डूमरी सहित दर्जनों गांवों के लोग लगातार ध्वस्त पुल के निर्माण की मांग कर रहे थे।

source: jagran.com