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Tag: Education

चकिया के 77 टोला में 1 जून से चलेगा समर कैंप

चकिया प्रखंड क्षेत्र के 77 टोला में 1 जून से समर कैंप चलेगा। समर केंप में 4,5 व 6 वर्ग के 770 बच्चे पढ़ेंगे। इस कार्यक्रम को सफल बनाने को लेकर बीआरसी में आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम में सोमवार को प्रखंड क्षेत्र के 77 टोला सेवकों को प्रशिक्षित किया गया है।

सभी टोला सेवकों को दो दिनों के अंदर प्रत्येक टोला से 4, 5 व वर्ग 6 के दस दस बच्चों की सूची बनाकर बीआरसी में जमा कराने का निर्देश दिया गया है। 1 जून से 30 तक अक्षर आंचल योजना से कोई बच्चा पीछे नहीं, माता भी छूटे नहीं कार्यक्रम के तहत प्रखंड के 77 टोला में समर कैंप का आयोजन होगा। इस संबंध में बी ई ओ मिथिलेश कुमारी ने बताया कि महादलित, दलित, अल्पसंख्यक, अति पिछड़ा वर्ग अक्षर आंचल योजना के तहत एक माह चलने वाली समर कैंप को सफल बनाने को लेकर त्वरित कार्रवाई की जा रही है। समर कैंप में शिक्षा सेवक व शिक्षा सेवक तालमी मरकज के द्वारा सभी टोला में बच्चो के पढ़ने व सरल गणित के बुनियादी दक्षता को मजबूत करने के लिए कार्य करेंगे। 1 जून से प्रखंड के 77 टोला में 770 बच्चों को पढ़ाने के लिए केंद्र का चयन कर लिया गया है।

Source: Hindustan

ऑनलाइन शिक्षा V/S गरीबी

ऑनलाइन शिक्षा बनी गरीबों की मजबूरी

फ़ोटो सौजन्य: गूगल इमेज

कोरोना महामारी ने ऑनलाइन शिक्षा एक सामान्य बात बना है। सरकार भी इसे जोड़ो शोरों से जमीन पर लाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। मगर हकीकत यह है कि ऐसे कई परिवार हैं, जिनके पास स्मार्टफोन खरीदने के पैसे नहीं है। ये लैपटॉप तो दूर की बात हैं। यही नहीं इंटरनेट की कम रफ्तार भी बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई में बाधा बन रहा है। जबकि स्कूल बंद होने के कारण इंटरनेट तक पहुंच बच्चों के लिए सबसे अहम चीज हो गई है, जिससे वे अपनी पढ़ाई से जुड़े रहें। इसी वजह से कई गरीब या कम आय वाले परिवार सस्ता या फिर सेकंड हैंड स्मार्टफोन खरीद रहे हैं। स्कूल जाने वाले 24 करोड़ बच्चों की वजह से कम कीमत वाले स्मार्ट फोन उद्योग के लिए नए ग्राहक वरदान साबित हुआ है। उद्योग से जुड़े जानकारों का कहना है कि ग्रामीण इलाकों में इस्तेमाल हो चुके हैंडसेट की बिक्री बढ़ी है। लेकिन इसके साथ ही डिजिटल डिवाइड भी बढ़ रही है।

गौरतलब है कि चीन के बाद भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा स्मार्टफोन बाजार है। मगर आबादी के बड़े हिस्से के पास आज भी सस्ते या हलकी क्वालिटी के ऐसे फोन मौजूद हैं। बहुत से परिवारों के लिए स्मार्टफोन एक नई चीज है। फिलहाल दौर ऐसा कि शिक्षक व्हाट्स ऐप के जरिए घर पर किए जाने वाला सबक दे रहे हैं। या फिर वर्चुअल क्लास ले रहे हैं। बहरहाल, स्मार्टफोन की कमी ऑनलाइन स्कूली शिक्षा के लिए एकमात्र बाधा नहीं है। धीमा इंटरनेट भी एक बड़ा मुद्दा है। इसीलिए अनेक जगहों पर खराब कनेक्शन, फोन की लागत और महंगे डाटा प्लान के अलावा स्क्रीन पर अत्यधिक समय बिताने की चिंताओं के बीच पढ़ाने के तरीके को वापस ऑफलाइन की तरफ जाने पर विचार करने पर मजबूर किया जाने लगा है। हाल ही में मानव संसाधन मंत्रालय ने ‘वन क्लास वन चैनल’ की शुरूआत की थी। इसके तहत बच्चों को पढ़ाने के लिए टीवी और रेडियो का सहारा लिया जा रहा है। मगर क्लास में पढ़ाई का कोई विकल्प नहीं है। कम से भारत में तो ऐसा ही है। ऑनलाइन शिक्षा होने के कारण गरीब परिवारों के लाखों बच्चों की पढ़ाई छूट गई है। हकीकत चिंताजनक है। मसलन, गैर सरकारी संस्था कैरिटास इंडिया की रिपोर्ट गौरतलब है। उसके 600 से अधिक प्रवासी श्रमिकों पर किए गए एक सर्वे में पता चला कि उनमें से 46 फीसदी परिवारों ने अपने बच्चों को पढ़ाना बंद कर दिया है।