Skip to content Skip to left sidebar Skip to footer

Tag: India

ऑनलाइन शिक्षा V/S गरीबी

ऑनलाइन शिक्षा बनी गरीबों की मजबूरी

फ़ोटो सौजन्य: गूगल इमेज

कोरोना महामारी ने ऑनलाइन शिक्षा एक सामान्य बात बना है। सरकार भी इसे जोड़ो शोरों से जमीन पर लाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। मगर हकीकत यह है कि ऐसे कई परिवार हैं, जिनके पास स्मार्टफोन खरीदने के पैसे नहीं है। ये लैपटॉप तो दूर की बात हैं। यही नहीं इंटरनेट की कम रफ्तार भी बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई में बाधा बन रहा है। जबकि स्कूल बंद होने के कारण इंटरनेट तक पहुंच बच्चों के लिए सबसे अहम चीज हो गई है, जिससे वे अपनी पढ़ाई से जुड़े रहें। इसी वजह से कई गरीब या कम आय वाले परिवार सस्ता या फिर सेकंड हैंड स्मार्टफोन खरीद रहे हैं। स्कूल जाने वाले 24 करोड़ बच्चों की वजह से कम कीमत वाले स्मार्ट फोन उद्योग के लिए नए ग्राहक वरदान साबित हुआ है। उद्योग से जुड़े जानकारों का कहना है कि ग्रामीण इलाकों में इस्तेमाल हो चुके हैंडसेट की बिक्री बढ़ी है। लेकिन इसके साथ ही डिजिटल डिवाइड भी बढ़ रही है।

गौरतलब है कि चीन के बाद भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा स्मार्टफोन बाजार है। मगर आबादी के बड़े हिस्से के पास आज भी सस्ते या हलकी क्वालिटी के ऐसे फोन मौजूद हैं। बहुत से परिवारों के लिए स्मार्टफोन एक नई चीज है। फिलहाल दौर ऐसा कि शिक्षक व्हाट्स ऐप के जरिए घर पर किए जाने वाला सबक दे रहे हैं। या फिर वर्चुअल क्लास ले रहे हैं। बहरहाल, स्मार्टफोन की कमी ऑनलाइन स्कूली शिक्षा के लिए एकमात्र बाधा नहीं है। धीमा इंटरनेट भी एक बड़ा मुद्दा है। इसीलिए अनेक जगहों पर खराब कनेक्शन, फोन की लागत और महंगे डाटा प्लान के अलावा स्क्रीन पर अत्यधिक समय बिताने की चिंताओं के बीच पढ़ाने के तरीके को वापस ऑफलाइन की तरफ जाने पर विचार करने पर मजबूर किया जाने लगा है। हाल ही में मानव संसाधन मंत्रालय ने ‘वन क्लास वन चैनल’ की शुरूआत की थी। इसके तहत बच्चों को पढ़ाने के लिए टीवी और रेडियो का सहारा लिया जा रहा है। मगर क्लास में पढ़ाई का कोई विकल्प नहीं है। कम से भारत में तो ऐसा ही है। ऑनलाइन शिक्षा होने के कारण गरीब परिवारों के लाखों बच्चों की पढ़ाई छूट गई है। हकीकत चिंताजनक है। मसलन, गैर सरकारी संस्था कैरिटास इंडिया की रिपोर्ट गौरतलब है। उसके 600 से अधिक प्रवासी श्रमिकों पर किए गए एक सर्वे में पता चला कि उनमें से 46 फीसदी परिवारों ने अपने बच्चों को पढ़ाना बंद कर दिया है।

लखनऊ में लापता हो गए कोरोना पॉजिटिव

UP: बड़ी संख्या में लापता हुए कोरोना संक्रमित, तलाश में जुटी पुलिस

लखनऊः उत्तर प्रदेश की लखनऊ पुलिस उन कोरोना संक्रमितों की तलाश कर रही है जिन्होंने अपना गलत नाम पता देकर टेस्ट कराया और रिपोर्ट पॉजीटिव आने के बाद लापता हो गये। स्वास्थ्य विभाग ने इस बारे में पुलिस को सूचना दी है और पुलिस खुला घूम रहे इन संक्रमितों की तलाश कर रही है।

सूत्रों के अनुसार 23 से 31 जुलाई के बीच 2290 लोगों ने अपनी कोरोना जांच कराया लेकिन अपना असली पता ठिकाना सरकारी रजिस्टर में अंकित नहीं कराया। रिपोर्ट पॉजीटिव आने पर स्वास्थ्य विभाग ने संपर्क करने की कोशिश की मगर असफल रहा। वहीं जिला प्रशासन ने इस संबंध में पुलिस की सर्विलांस सेल से संपर्क किया है जिसके बाद 1171 मरीज ढूंढ़ निकाले गये हैं जिन्हे अस्पताल में भर्ती करा दिया गया है। हालांकि अभी भी पुलिस लापता 1119 मरीजों की तलाश कर रही है।

लखनऊ जंक्शन

देश के इस मंत्री को हुआ कोरोना

गृहमंत्री अमित शाह हुए कोरोना पॉजिटिव..
शुरुआती लक्षण पाए जाने पर अस्पताल में हुए भर्ती ,गृहमंत्री ने ट्वीट कर स्वम् जानकारी दी।

अमित शाह ने ट्वीट किया: कोरोना के शुरूआती लक्षण दिखने पर मैंने टेस्ट करवाया और रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। मेरी तबीयत ठीक है परन्तु डॉक्टर्स की सलाह पर अस्पताल में भर्ती हो रहा हूँ। मेरा अनुरोध है कि आप में से जो भी लोग गत कुछ दिनों में मेरे संपर्क में आयें हैं, कृपया स्वयं को आइसोलेट कर अपनी जाँच करवाएं।

Exit mobile version